Wednesday, March 7, 2012

जो करनी पड़े, वो नौकरी है


Surprise surprise :)

फोन के ग़र होता दिमाग
तो खुद ही कह देता वो
"ये भी कोई टाइम है नंबर घुमाने का?"
पर चूँकि ऐसा नहीं है
हम बेवक्त फोन उठाते हैं
बकरी से मिमियांते हैं
बित्ती भर ज़ुबां पे
मन ही मन
सैंकड़ों गालियाँ तौल जाते हैं
फिर "Of  Course , No Problem और Sure Anytime " का
रट्टा लगाते हैं

जगाया होता ग़र खुद की बीवी ने सोते से
उसकी फिर खैर न थी
त्योरियां चढ़ाई होती हमनें
फटकार लगाई
होती हमनें
पर चूँकि Boss की बीवी का फरमान है
कौन नींद, कौन नींद का चचाजान है
मिनटों में हम तैयार 
हैं
इस से पहले कोई दूसरा बजा लाये उनका हुक्म
हम 
मेमसाहब के तिलिस्मी ऐय्यार हैं

अपने बच्चों ने ग़र कहा होता
"बाबा ज़रा सैर करा दो"
तो डांट-डपट कर पढने बैठा दिया होता
पर चूँकि ये बच्चे किसी और के नही
माईबाप के ही हैं
सिर्फ उनके ही नहीं, हम और आप के भी हैं
"अंकल मुझे शौक है गाना गाने का"
बस इतना कहना ही काफी है
ये लीबिया और हम गद्दाफी हैं
जो उस शौक के बीच आएगा
नेस्ता-नाबूत हो जाएगा

अपनी बहन ने ढूँढा होता वर 
ग़र अपनी पसंद से 
हालत उसकी वो बनाई होती
शादी तो दूर, देखते हैं कैसे सगाई होती
पर चूँकि वो बहन किसी और नहीं
अफसर साब की हैं
उसकी शादी का ज़िम्मेदारी
पूरे महकमे के बाप की है
और देखो,
कैसा चालाक निकला मेरा शागिर्द प्यादा
एक निशाने से दो चिड़ियाँ गिराई है
लड़की तो पाई है पर साथ ही
अब वो पूरे दफ्तर का जमाई है


इसी आफिस से हमने
एक और नेमत भी पाई है
कहने को दोस्त हैं
पर वो दोस्त नहीं भाई हैं
बीवी-बच्चों ने भी भली निभाई है
चूँकि जानते हैं वो 
भी,
इसी में हम सब की भलाई है

ऐसी भयंकर पीड़ा का
बस एक ही निवारण है
आ जाता है बिना चूके हर महीने के आखिर में
वो इकलौता चेक ही कारण है
के सह लेते हैं नौकरी की निर्मम बेंत
हँस कर हम मियां बीवी बच्चों समेत 


मिमियाना =  bleat like a goat, बित्ती भर = tiny,  तौल = weigh, त्योरियां चढ़ाना = to frown, फटकार = scold,  फरमान = orders, तिलिस्मी ऐय्यार = magical wizard, नेस्ता-नाबूत = razed to the ground, शागिर्द = apprentice, प्यादा = chess pawn, नेमत = divine gift

Saturday, March 3, 2012

बात का बीज

ना सावन का मोर हूँ
ना मूषिक की जात
ना जग-जाहिर मैंने की
ना धरा गढ़ाई बात

कारण बात का बीज है
सींचे वो निर्दोष
बीज विषैला तेज कटु
मैं बस रहा था पोस

जड़ मिटटी की बैरी थी
डाल हवा को खाय
मैं तो बस पानी दिया
अपराधी मैं नाय