Thursday, July 9, 2015

एक मैगी प्रेमी की टेर

यूँ ही अचानक एक दिन
गु़म से हो जाओगे
ज़रा सा भी इसका साया होता,
तो तुम्हें कुछ और चाव से खाया होता

पानी थोड़ा कम ही मिलाया होता
कढ़ाई में चम्मच और प्यार से घुमाया होता
स्टील की प्लेट नही,
चाँदी में सजाया होता,
तुम्हें कुछ और चाव से खाया होता

तेरी सुनहरी लटों को
फोर्क पर नही, पलकों पे बिठाया होता,
निहारा होता
सँवारा होता
ज़रा और फ़ू फ़ू कर के
सुर्रर्रर्रर्र से गटकाया होता
तुम्हें कितने चाव से खाया होता

मिल जाओ कहीं तो कसम से
अदालत में एक डाइलाग ज़रूर टिकाया होता
'ग़र मैगी खाना जुर्म है माइ लाड तो ये जुर्म मैंने किया है'
जज को यूँ दो टूक सुनाया होता

कावेरी हो या औली
तवांग या बमरौली
तुम्हे हर जगह मैंने पाया होता 
कितने चाव से खाया होता
ओह मैगी,
तुम्हें कितने चाव से खाया होता!!