Tuesday, May 24, 2016

एकांत

इंसाफ का पक्का
भेद-भाव से परे
अकेलापन सच्चा है सौ टका
भीड़ में
या अकेले में
आके साथ हो लेता है कहीं भी 
कभी भी

एकाकी एकांत
चाहो तो करीब है
न चाहो
तो इतना लम्बा फ़ासला
जो नापे न नपे
कहीं भी
कभी भी

महाभूत (The Elements)

आज मैंने सौ रूपए की मिटटी ख़रीदी
कल ही २० रूपए/लीटर पानी ख़रीदा

१४.२ लीटर के ५१८ रुपये
१०.२ लीटर के ७००० रुपये 
इन दामों पर आग और हवा भी खरीदी है

ढूंढूं ज़रा
के कितने का बिकता है
मेरे हिस्से का आसमां