Tuesday, February 28, 2012

एक गलती

हमें रिश्तों को खींच-तान कर, ठोक-बजा कर परखने की इतनी आदत सी हो गयी है के हर मोड़ पर हम उन्हें कसौटी पर रख धरते हैं. हर ढलान पर उनकी पकड़ जांचते हैं. हर चढ़ाई पर हौंसले का सबूत मांगते हैं. भूल जाते हैं के कच्चे धागों में पिरोया नाज़ुक सा हार है यह, कुत्ते का पट्टा नहीं जो घडी घडी खींच कर पड़ताल करनी पड़े.

फिर जब हमारी ऐसी ही एक ग़लती से ये माला टूट जाती है तो या तो दोस्तों की टोली मुट्ठी भर ले जाती है या हमसे भी ज़हीन कोई अपना लेता है उसे. एक छोटी सी ग़लती कर के खो बैठते हैं हम अपना कीमती जेवर. कभी वापस न पाने के लिए.

 खींचो नहीं यूँ जोर से
माला जांचन वास्ते
जहाँ-तहां पर भटकते
होंगे बिखरे मोती रास्ते

पंथी मुट्ठी भर ले जाए
या चुग जाये हंस कुलीन
पल भर में लोप भये
मणके एक एक गीन


भूले से भी ना गिरे
ये जेवर अनमोल
कंगाल भिकारी सा बौराकर
भी मिले नहीं खैरात में
खींचो नहीं यूँ जोर से
माला जांचन वास्ते


बिनस गया तुझ से तेरा जो
संजो सके ना कोय
वो नाजुक, उस से भी नाजुक चाव
शब्द बाण प्रहार से
ऐसे तीखे घाव
संचा बचे फिर कुछ नहीं
ऐसे घातक अघात से

खींचो नहीं यूँ जोर से
माला जांचन वास्ते
जहाँ-तहां पर भटकते
होंगे बिखरे मोती रास्ते

2 comments:

  1. Beautiful Vandu....could relate to it.... :(

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  2. I know...kitti odhun tanun test karat rahto na pan aply relationships

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