Monday, July 18, 2011

सीवन

(the chadar is the government we choose hoping that it will some day save us when we need it to. the real test of it is to save us from the fury of our very own people)


लाल गुलाबी चकतों वाली पुरानी सी चादर 
बीच बीच में दोहरी सिलाई
के कहीं उधड न जाए सीवन
आधी रात में ही 
जब काला अँधेरा
घनघोर अँधेरा
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से

एक एक टांका
हूंक भरा
बेहिचक चुभोता दमख़म से, हर तेज़ झोंके को
के कहीं उधड न जाए सीवन 
आधी रात में ही 
जब बर्फानी तूफ़ान 
छुरे सा नुकीला तूफ़ान 
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से

चादर पे चादर जोड़ कसी
ऐंठ भरी डोरी का जोर 
परख हुए है सीवन की 
आधी रात में ही
बचा लिए जो हमको सब
अपनों के ही विष से 
जो,
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से

सीवन = the stitches, चकतों = patches, दोहरी = double, चहुँ दिस = from all four sides, हूंक = grunt/groan, ऐंठ = twist, परख = test/judgement

2 comments:

  1. ये तो अब हर देसवासी की दु:खभरी दास्ताँ हो गयी है...
    'अपनों के ही विष से
    जो, आकर घेर लेगा चहुँ दिस से'... painfully beautiful...

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