उतरते पानी को देर नहीं लगती
दरारों-ढलान का साथ जो है,
वो तो चढ़ते पानी का नसीब है
हर मोड़ पे बरसों की मेहनत है.
शोरो-ग़ुल भी करता है
तो करता है उतरता पानी,
वो तो चढ़ते पानी का नसीब है
जो चुप सा चट्टानों को कलम करता है.
मशहूर है खूबसूरत कर
जब है उतरता पानी
वो तो चढ़ते पानी का नसीब है,
जो बदनाम है तबाही के लिए.
पर तुझे सलाम है, चढ़ते पानी..
के वक़्त की सीढियों को
जूझता हुआ बढ़ा है,
सूखे-प्यासे कुओं में
तू बेझिझक चढ़ा है.
दरारों-ढलान = cracks & slopes, शोरो-ग़ुल = loud noise, कलम = behead, kill, जूझता = struggle, बेझिझक = uninterrupted, without fear or doubt
दरारों-ढलान = cracks & slopes, शोरो-ग़ुल = loud noise, कलम = behead, kill, जूझता = struggle, बेझिझक = uninterrupted, without fear or doubt
Awe inspiring poem.
ReplyDeletethanks :)
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