लाल गुलाबी चकतों वाली पुरानी सी चादर
बीच बीच में दोहरी सिलाई
के कहीं उधड न जाए सीवन
आधी रात में ही
जब काला अँधेरा
घनघोर अँधेरा
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से
एक एक टांका
हूंक भरा
बेहिचक चुभोता दमख़म से, हर तेज़ झोंके को
के कहीं उधड न जाए सीवन
आधी रात में ही
जब बर्फानी तूफ़ान
छुरे सा नुकीला तूफ़ान
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से
चादर पे चादर जोड़ कसी
ऐंठ भरी डोरी का जोर
परख हुए है सीवन की
आधी रात में ही
बचा लिए जो हमको सब
अपनों के ही विष से
जो,
आकर घेर लेगा चहुँ दिस से
सीवन = the stitches, चकतों = patches, दोहरी = double, चहुँ दिस = from all four sides, हूंक = grunt/groan, ऐंठ = twist, परख = test/judgement