Friday, November 19, 2010

बंटवारा

बैठक की चटख लाल दीवार
और उसपर तस्वीरों की भूल-भुलैया,
सुनहरी धारियों वाली प्यालियाँ,
बरामदे का वो झूला
और धूप से सने पडदे,

जायज़ हक है तुम्हे,
हवाले तुम्हारे ही सब कुछ.
मेहनत की कमाई से,
सिक्कों में जो तौला है,
तुमने रुपयों से खरीदा है.

मैंने तो बस चुन-चुन कर,
दिलो-जाँ से सजाया था.
खाली पड़े मकां में,
एक घर ही तो बसाया था.

बैठक = living room,  चटख = bright, भूल-भुलैया = labyrinth, maze, सुनहरी धारियों वाली प्यालियाँ = gold rimmed cups, धूप से सने पडदे = curtains soaked in sunlight,  जायज़ हक = legal right, दिलो-जाँ = whole-heartedly, मकां = house 

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