Saturday, February 12, 2011

फ़र्क

लांघते-फांदते उन्ही दीवारों को
बदहवास से हांफे जाते हैं,
जिन्हें खुद ही ने
ईंट दर ईंट
बतौर सरहद, हाल ही में चुनवाया था

हद्द बंदी की वो रोक-टोक
किया कई हमवतनों को जुदा जिसने,
वही लकीरें
आज घुटनों के बल
घिसट घिसट कर
रेंगते हुए मिटाने कि कोशिश क्यों?

बैठ गद्दी पे जो हुक्म हांके
आज बिखरे बिखरे से हैं
उन्ही उसूलों के मोती I
रौंद कर अपने ही कदमों तले
क्यों शर्मिंदा से फरार हुए जाते हों?

ये क्या तौर है
क्या तरीका है
कैसे हैं ये कायदे
जिन्हें जाँ देकर हम निभाएं
और
तुम धुंद समझ पार किये जाते हों

लांघते-फांदते = hopping and jumping across, बदहवास = out of breath, हांफे = panting, बतौर सरहद = as a legitimate boundary, हद्द बंदी = border line, हमवतनों = fellow countrymen, फरार = escape, धुंद = mist



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